बाल गीत(जिज्ञासा)
प्रतियोगिता हेतु रचना
बाल गीत(जिज्ञासा)
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अम्मा मेरी जिज्ञासा को
आकर पूरी अब कर जाओ
लाल तुम्हारा बुला रहा
फिर से अपने घर आ जाओ
जिज्ञासा मेरी इतनी है मां
सीने से हमें लगा लेना
एक बार ललुआ कहकर
वक्षस्थल से चिपका लेना
तुम जब से चली गई अम्मा
लोरी सुनने को तरस गया
मैं याद तुम्हारी करता हूं
जीवन का मेरे हर्ष गया
तुम जब लोरी गाती थीं
तो नींद तुरत आ जाती थी
तेरे हाथों की थपकी तो
दुनिया का प्यार लुटाती थी
अम्मा तुम फिर से आ जाओ
लोरी गा हमें सुना जाओ
अपने प्यारे हांथों से मां
थपकियाँ भी हमें लगा जाओ
भूख लगी है बहुत जोर से
मुझको एक कौर खिला जाओ
अम्मा तुम फिर से आ जाओ
तुम बिन घर सूना लगता है
अंगना भी रोया करता है
मिट्टी के चूल्हे की रोटी
खाने का दिल भी करता है
अम्मा तुम कोमल हाथों की
पनेथी भी हमें बना जाओ
बैठा कर अपनी गोदी में
घी,बुकनू लगा खिला जाओ
गोदी में अपनी लेकर फिर
अम्मा तुम हमें सुला जाओ
सुमधुर मीठी वाणी से
वो लोरी फिर हमें सुना जाओ
आपके साथ बिताये पल की
अब यादें हमें सताती हैं
तुम बिन हमको बिस्तर पर
नींद नहीं अब आती है
कहाँ छुपी हो अम्मा मेरी
फिर से दर्श दिखा जाओ
अम्मा अब तुम फिर से
घर आ जाओ
अम्मा तुम फिर से आ जाओ
जिज्ञासा अपने ललुआ की
अम्मा तुम पूरी कर जाओ
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कल्यानपुर कानपुर
Mohammed urooj khan
06-Nov-2023 12:54 PM
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